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SHRI BENNY BEHANAN: Hon. Speaker,
Sir, my question is related to the high prices of medicines which are badly
affecting the poor people of the country. Sir, we are unable to buy items of
daily necessities due to rise in prices. How can we pay 18 per cent GST
on medical insurance? Sir, medical insurance started in India very late as
compared to developed countries in the world like United States, UK, Australia
etc., where majority of
the people had taken medical insurance policies much earlier as part of the
social security measures adopted by those countries. In India, even now only a
minority population, whether in urban or rural areas, have taken medical
insurance policies. In order to boost the medical insurance sector, and to
strengthen the social security measures for the people of India, it is highly
necessary to exempt medical insurance policies from GST at the earliest. *h
*
श्री पंकज
चौधरी: माननीय
अध्यक्ष जी, मैं आपके
माध्यम से
माननीय सदस्य
को बताना चाहता
हूँ कि अभी जब
कोविड काल आया
था, उस
समय हमारे
मंत्री परिषद
के समूह ने एक
तत्काल
निर्णय लिया
कि कोविड से
संबंधित
जितनी भी दवाइयाँ
हैं, जिनको
पाँच परसेंट
और 12 परसेंट
के दायरे में
रखा गया। कोविड
के समय कोविड
से संबंधित
दवाइयाँ एवं इंस्ट्रूमेन्ट्स
थे,
उनको 12 या 18 परसेंट
से घटा कर
पाँच परसेंट
करने की
व्यवस्था भी की
गई थी।
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SHRI BENNY BEHANAN: Sir, my
supplementary question is whether the Government of India has any plan to
propagate medical insurance by promoting group medical insurance policies at anganwadis, schools, colleges etc., as this will in turn
help promote health insurance in both urban and rural India.
श्री पंकज
चौधरी: अध्यक्ष जी, माननीय
प्रधानमंत्री
जी के नेतृत्व
में देश के
सभी
जरुरतमंदों
को स्वास्थ्य
बीमा मिल सके, उसके लिए
पहले से ही
राष्ट्रीय
स्वास्थ्य बीमा
योजना, सार्वजनिक स्वास्थ्य
बीमा योजना, निरामय स्वास्थ्य
बीमा योजना, जन आरोग्य
बीमा योजना और
आयुष्मान
भारत के तहत
ऐसे तमाम
स्वास्थ्य
बीमा की
योजनाएं सरकार
लेकर आई है। इसमें
मैं कह सकता
हूँ कि
स्वास्थ्य
बीमा का लगभग 66 फीसदी
हिस्सा भारत
सरकार की
योजनाओं से
संचालित होता
है और
लोग इसे
प्राप्त करते
हैं
माननीय
अध्यक्ष:एडवोकेट
अदूर प्रकाश - उपस्थित
नहीं
*
डॉ. श्रीकांत
एकनाथ शिंदे: अध्यक्ष
जी,
इंडिया में
जो
इंश्योरेंस
पेनिट्रेशन
है,
वह जीडीपी का
चार प्रतिशत
है और जो
ग्लोबल एवरेज
है,
वह सात
प्रतिशत है। लाइफ
इंश्योरेंस
एक बड़ी
इंडस्ट्री
है। वर्तमान
में सेक्शन 88सी
में इसके लिए
डिडक्शन
क्लेम किया
जाता है। कोरोना
महामारी के
समय लाइफ
इंश्योरेंस
की डिमांड बढ़ी
है। मंत्री जी
ने अपने जवाब
में बताया है
कि इस पर 18 प्रतिशत
जीएसटी लगता
है। इसके
अतिरिक्त, इनकम
टैक्स में भी
सिर्फ 25,000 रुपये
का
एग्जेम्प्शन
मिलता है।
इससे ज्यादा कुछ
फायदा नहीं
मिलता है। मेरा
मंत्री जी से
यह प्रश्न है
कि क्या सरकार
लाइफ
इंश्योरेंस
पॉलिसी के लिए
एक सेपरेट सेक्शन
फॉर डिडक्शन
देने का
प्रावधान या
पीपीएफ की तरह
इसकी
एग्जेम्प्शन
लिमिट को 25,000 रुपये
से अधिक करने
की योजना कर
रही है?
श्री पंकज
चौधरी: माननीय
अध्यक्ष जी, मैं आपके
माध्यम से
सदस्य को
बताना चाहता
हूं कि बीमा
इंश्योरेंस
पर 18 पर्सेंट
का जीएसटी
लगता है।
जीएसटी आने के
पूर्व में भी, अगर आप
देखें तो सभी
देशों के
स्टैंडर्ड्स रेट
होते हैं, और इसके
पहले भी बीमा
इंश्योरेंस
पर 15 पर्सेंट सर्विस
टैक्स था और
वैट वगैरह
सारे टैक्स
मिलाकर देखें
तो उस समय भी 18 पर्सेंट
टैक्स लगता
था। जहां तक
इनकम टैक्स की
रिबेट का सवाल
है, 25 हजार
से लेकर 1 लाख तक की
रिबेट
वृद्धों के
लिए दी जाती
है।
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