*
श्री
संतोख सिंह
चौधरी: सर, मेरे
संसदीय
क्षेत्र
जालंधर में
नेशनल चाइल्ड
लेबर
ट्रेनिंग
सेंटर्स चल
रहे थे, जिनमें करीब 1300 बच्चे
ट्रेनिंग ले
रहे थे।
जालंधर
क्षेत्र में
ऐसे 27 सेंटर्स
चल रहे थे और
इनमें 117 टीचर्स काम
कर रहे थे। अब
एक ऑर्डर आया
है कि इन
सेंटर्स को
बन्द कर दिया
गया है, क्योंकि
इसको सर्व
शिक्षा
अभियान में
सबस्यूम कर
दिया गया है, जो मेरे
जिले में
फंक्शनल नहीं
है। माननीय फाइनेंस
मिनिस्टर जी
ने अपनी बजट
स्पीच में कहा
था कि इन
सेंटर्स को
कंटिन्यू
किया जाएगा, इसको
एक्सटेंड
किया जाएगा, लेकिन अब
यह जो हुक्म
आया है, इससे मेरे
संसदीय
क्षेत्र के इन
1300
बच्चों
का भविष्य
खतरे में पड़
गया है। वहां
जो 117 टीचर्स
हैं, उनको
पिछले 17 महीनों से
सैलरी नहीं दी
गयी है। मैं
मंत्री जी से
जानना चाहता
हूं, क्योंकि
सर्व शिक्षा
अभियान वहां
फंक्शनल नहीं
है, तो क्या
इसे कंटिन्यू
करेंगे और
वहां टीचर्स
की जो सैलरी
बकाया है, उसे देने
की व्यवस्था
करेंगे? धन्यवाद। *h
श्री
भूपेन्द्र
यादव: माननीय
अध्यक्ष
महोदय, जो मूल
प्रश्न है, वह
न्यूनतम
मजदूरी के
संबंध में है
और न्यूनतम
मजदूरी के
मानदण्डों को
तय करने के
बारे में है, लेकिन
माननीय सदस्य
महोदय जो
प्रश्न पूछ
रहे हैं, वह मूल
प्रश्न से
बिल्कुल अलग
है। अगर आप
मुझे अनुमति
दें तो मैं
स्पष्ट कर
सकता हूं।
माननीय
अध्यक्ष : अगर
आप जानकारी
देना चाहें तो
दे दें।
*
श्री
भूपेन्द्र
यादव: माननीय
अध्यक्ष
महोदय, नेशनल
चाइल्ड लेबर
स्कीम, वर्ष 1988 से प्रारम्भ
हुई थी और जो
बच्चे बाल
मजदूर के रूप
में पाए जाते
थे, उनके
लिए इस स्कीम
का संचालन
किया जाता था।
हमारे यहां
राइट टू
एजुकेशन आने
के बाद, चूंकि अब
हमारे देश में
छोटी आयु से
लेकर 18 वर्ष
की आयु तक के
सभी बच्चों को
समग्र रूप से इसमें
शामिल किया
जाएगा, इसलिए अब जो
भी बच्चे
शिक्षा में
शामिल नहीं हो
पा रहे हैं, जो किसी
अन्य क्षेत्र
में काम कर
रहे हैं, लेकिन
शिक्षा में
शामिल नहीं हो
पा रहे हैं, उनके लिए
भारत सरकार
द्वारा समग्र
शिक्षा का कार्यक्रम
चलाया जा रहा
है।
समग्र
शिक्षा का
कार्यक्रम
व्यापक स्तर
पर किया जाता
है,
क्योंकि
समग्र शिक्षा
का संचालन
करने वाला जो
शिक्षा
मंत्रालय है, उनके
पास
कार्यक्षमता, हॉस्टल
की सुविधा एवं
अन्य
इन्फ्रास्ट्रक्चर
सुविधाएं
हैं। दो
पैरालल
स्कीम्स एक
साथ चलने के
कारण भारत
सरकार ने, जो
चाइल्ड लेबर
के लिए जो
सेंटर्स चल रहे
थे,
इनके
सेंटर्स को
समग्र शिक्षा
के अंतर्गत समाहित
कर दिया है।
माननीय वित्त
मंत्री जी ने
भी फाइनैंस
बजट के समय
में जो अपना
बयान दिया था, उसमें
भी सदन में
पूरी तरह से
स्पष्ट किया
गया था कि
स्कीम बंद
नहीं की गई
है। स्कीम को
लेबर डिपार्टमेंट
से एजुकेशन
डिपार्टमेंट
में मर्ज किया
गया है। फिर
भी,
जिन चाइल्ड
लेबर सेंटर्स
में बच्चों के
रजिस्ट्रेशंस
हो गए हैं, वे
आने वाले समय
तक अपने
पाठ्यक्रम को
पूरा करें, उस
पाठ्यक्रम के
लिए वित्त
मंत्रालय
द्वारा हमारे
मंत्रालय को
अनुदान दिया
गया है। अगर ऐसा
कोई विशेष
सेंटर, माननीय
सदस्य को लगता
है कि वहां पर
यह नहीं पहुंचा
है,
क्योंकि दो-चार
सेंटर्स ऐसे
हैं, जिन्होंने
अपने
यूटिलाइजेशन
सर्टिफिकेट्स
नहीं दिए हैं।
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, अगर
कोई विशेष
सेंटर का
यूटिलाइजेशन
सर्टिफिकेट
का विषय है, तो
माननीय सदस्य
वह मेरे
संज्ञान में
लाएं, हम उसका
समाधान
करेंगे, लेकिन
जहां तक स्कीम
की बात है, स्कीम
को समग्र
शिक्षा
कार्यक्रम के
अंतर्गत मर्ज
कर दिया है।
*
श्री
कनकमल कटारा : अध्यक्ष
महोदय, मैं इसी
संबंध में एक
महत्वपूर्ण
प्रश्न आपके
माध्यम से
पूछना चाहता
हूं कि
राजस्थान सहित
देश भर के
विभिन्न
सरकारी
कार्यलयों
में संविदा प्लेसमेंट
एजेंसीज और
कंसल्टेंसी
एजेंसीज द्वारा
कार्मिक
श्रमिकों की
नियुक्ति की
जाती है, परंतु इन
कार्मिक
श्रमिकों को
सरकार द्वारा निर्धारित
मानदेय नहीं
दिया जाता है, क्योंकि
इन एजेंसियों
द्वारा कम दर
पर टेंडर निविदा
लिए जाते हैं।
अध्यक्ष
महोदय, मैं आपके
माध्यम से
माननीय
मंत्री जी से
पूछना चाहता
हूं कि संविदा
प्लेसमेंट
एजेंसी और कसंल्टेंसी
एजेंसी
द्वारा
कार्मिक
श्रमिकों को
सरकार द्वारा
निर्धारित
पूरा मानदेय
देने हेतु
क्या-क्या
कदम उठाए जा
रहे हैं? मैं इस
संदर्भ में
आपसे मांग
करता हूं कि
इस प्रकार के
टेंडरों में
कम दर वाली
शर्तों को
समाप्त करके
सरकार द्वारा
निर्धारित
पूर्ण मानदेय
की व्यवस्था
की जाए।
श्री
भूपेन्द्र
यादव : माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं पुन: निवेदन करना
चाहता हूं कि
प्रश्न
न्यूनतम मजदूरी
के संदर्भ में
है, लेकिन
माननीय सदस्य
ने
काँट्रैक्ट
लेबर के बारे
में विषय
उठाया है, जिसमें वह
राजस्थान
सरकार के
द्वारा की गई
कमियों कों
इंगित कर रहे
हैं। स्थानीय
सरकार, राजस्थान
सरकार को
काँट्रैक्ट
लेबर एक्ट के तहत
इस पर
कार्रवाई
करनी चाहिए, ताकि गरीब
श्रमिकों को
राजस्थान में
न्याय मिल
सके।
*
श्री
अरविंद सावंत: माननीय
अध्यक्ष जी, मंत्री
जी ने बहुत
अच्छा जवाब
दिया है। मेरा
मूलभूत सवाल
है कि आप छ: महीने
के बाद
वेरिएबल डीए
बढ़ाते हैं।
महंगाई बढ़ी
है।
काँट्रैक्चुअल
लेबर्स जो
सेंट्रल गवर्नमेंट
के तहत आते
हैं, उनको
मिनिमम वेजेस
मिल रहा है।
लोग 10-10 साल
नौकरी कर रहे
हैं, लेकिन
उनको मिनिमम
वेजेस वही मिल
रहा है। जैसे
वीडीए की बात
आती है, वैसे
ही
इंक्रीमेंट
की भी बात आनी
चाहिए। जिंदगी
भर उनकी
तनख्वाह नहीं
बढ़ेगी। बैंक
में कॉन्ट्रैक्ट
पर कर्मचारी 10-10 हजार
रुपए में 10-10 वर्ष
नौकरी करते हैं, तो
उनके लिए
सरकार ऐसा कोई
निर्णय ले, जैसे
आपने वीडीए
दिया, वैसे ही
इंक्रीमेंट
के बारे में
कुछ बात करें, तो
उनको थोड़ा
तसल्ली
मिलेगी, समाधान
मिलेगा।
श्री
भूपेन्द्र
यादव : माननीय
अध्यक्ष
महोदय, न्यूतम
मजदूरी का
अर्थ है कि जो
कुशल कारीगर विभिन्न
क्षेत्रों
में कार्य कर
रहे हैं, उनके जीवन की
मिनिमम
आवश्यकताओं
की पूर्ति के
लिए उनको एक
निश्चित आय
सरकार के
द्वारा उपलब्ध
कराई जाए, जो कि
उनके
गरिमापूर्ण
जीवन जीने के
लिए आवश्यक
है। उपभोक्ता
मूल्य
सूचकांक के
आधार पर वीडीए
तय किया जाता
है, इसे
हर पांच वर्ष
में रिव्यू
किया जाता है।
यह
इंक्रीमेंट
के लिए नहीं
है, यह
मिनिमम वेजेज
के लिए है, जिसको 1 अक्टूबर, 2021 को किया
गया। सरकार हर
पांच साल में
इस विषय को
रिव्यू कर रही
है। आप जो
विषय पूछ रहे
हैं, वह
मिनिमम वेजेस
का नहीं है, वह
इंक्रीमेंट
ऑफ वेजेस का
है, जो
इससे भिन्न है।
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